अधिकतर घरों पर माता लक्ष्मी की मूर्ति भगवान गणेश जी के साथ रखी दिखाई पड़ती है। इस तरह से रखना गलत है। दरअसल माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं इसलिए माता लक्ष्मी की मूर्ति के साथ विष्णु जी को रखना चाहिए।
क्या आपको पता है कि देवी लक्ष्मी की मूर्ति रखने का सही तरीका क्या है? क्या आपके घर में सही स्थान पर रखी है मूर्ति? गलत स्थान पर रखी मूर्ति फायदे की जगह नुकसान कर सकती है। शास्त्रों में माता लक्ष्मी को धन की देवी माना गया है। लोग मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। इसके लिए लोग घर पर मां लक्ष्मी की मूर्ति रखते हैं, इसलिए आपके लिए यह जानना जरूरी है कि देवी लक्ष्मी की मूर्ति को रखने का सही तरीका क्या है?
1- पूजा घर में माता लक्ष्मी की मूर्ति जरूर होती है, लेकिन कई बार लोग भूलवश देवी लक्ष्मी की खड़ी अवस्था में प्रतिमा रख देते हैं, जिसे नहीं रखना चाहिए। माता के इस स्वरूप में की जाने वाली पूजा फलित नहीं होती।
2- पुराणों के अनुसार देवी लक्ष्मी चंचल होती हैं इसलिए कभी भी उनकी खड़ी अवस्था में मूर्ति रखने पर वह उस स्थान पर ज्यादा देर तक नहीं टिकती हैं। हमेशा घर पर माता लक्ष्मी की बैठी हुई प्रतिमा को रखना चाहिए।
3- माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू होता है और उल्लू भी चंचल स्वभाव का होता है इसलिए देवी लक्ष्मी की मूर्ति कभी भी उल्लू पर बैठी हुई अवस्था में नहीं रखनी चाहिए।
4-अधिकतर घरों पर माता लक्ष्मी की मूर्ति भगवान गणेश जी के साथ रखी दिखाई पड़ती है। इस तरह से रखना गलत है। दरअसल माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं इसलिए माता लक्ष्मी की मूर्ति के साथ विष्णु जी को रखना चाहिए।
5-भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को सिर्फ दीपावली के दिन ही एक साथ रखना चाहिए। दीवाली के दिन घर पर सुख-समृद्धि लाने के लिए माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की एक साथ पूजा करनी चाहिए।
6- माता लक्ष्मी की मूर्ति को कभी भी दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए। वास्तु में इसे दोष की तरह से देखते हैं। मूर्ति और दीवार के बीच दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
7- वास्तु के अनुसार, पूजा घर और उनमें रखी देवी-देवताओं की मूर्ति को सही दिशा में रखना बेहद जरूरी होता है। देवी लक्ष्मी की मूर्ति को हमेशा उत्तर दिशा में रखना चाहिए, तभी शुभ फल की प्राप्ति होती है।
8- कई लोग अपने पूजा घर में देवी लक्ष्मी की एक से ज्यादा मूर्ति और तस्वीरें रखते हैं, जिसे शास्त्रों में वर्जित माना गया है।